शेफाली चली गई

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शेफाली चली गई प्रियदर्शन `हलो, मैं शेफाली।` आवाज़ की खनक जानी-पहचानी थी। मिलने का समय भी तय था। मिलने की जगह भी तुम्हीं ने बताई थी। फिर भी तुम स्तब्ध से खड़े रहे- बिल्कुल जड़वत। क्या इसलिए कि शेफाली वैसी नहीं थी जैसी तुमने कल्पना की थी? तुम मान कर चल रहे