राम रचि राखा - 4 - 1

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राम रचि राखा मरना मत, मेरे प्यार ! (1) "जो मन में आए करो...मरो तुम!" झल्लाते हुए प्रिया ने फोन को झन्न से क्रेडिल पर रखा और मेरी तरफ मुड़ी। मैं बेडरूम से सटे स्टडी रूम में कुछ लिख रहा था। कल जब से प्रिया की माँ का फ़ोन आया था तब से ही यह तनाव चल रहा था। मैं