पाती प्रेम की

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पाती प्रेम की मेरे प्रिय ! ' मेरे ' …..,कितना अच्छा लग रहा है मुझे कि किसी को मैं अपना कह कर बुला सकती हूँ । किसी पर मेरा पूर्ण अधिकार ..जिससे मैं खुल कर हर बात कह सकती हूँ ऐसा कोई मुझे मिल गया … तुम्हारी सुनयना ये पहली प्रेम की पाती लिखी थी सुनयना ने उसको जिसे वो खुलकर अपना कह सकती थी…... सुनयना बहुत खुश थी ...उसकी सगाई हो गयी थी । घर परिवार के सभी लोग खुश थे । माँ पापा ने शादी तय की थी और उनकी पसंद सुनयना की पसंद बन गयी । सगाई वाले दिन हर्षित ने सुनयना को अंगूठी