धर्मपुर लॉज- प्रज्ञा रोहिणी

  • 7.8k
  • 1.4k

किसी बीत चुकी घटना पर जब तथ्यात्मक ढंग से कुछ लिखा जाता है तो उसके प्रभावी लेखन के लिए यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि पहले उस पर सही एवं संतुलित तरीके से प्रॉपर शोध किया जाए। दोस्तों...आज मैं बात करने जा रहा हूँ हमारे समय की एक सशक्त लेखिका सुश्री प्रज्ञा रोहिणी जी के दमदार उपन्यास "धर्मपुर लॉज" की। लॉज नाम से सीधा ज़हन में मुसाफिरों/यायावरों के रात बिरात ठहरने का ऐसा ठिकाना आता है जहाँ वे कुछ घँटे सुस्ताने के बाद नहा धो के फ्रैश हो सकें। लेकिन यहाँ इस उपन्यास को पढ़ने के बाद हम पाते