राजनारायण बोहरे और कहानी की दुनिया

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राजनारायण बोहरे और कहानी की दुनिया -डॉ. पद्मा शर्मा हिन्दी कहानी के आठवें दशक में अनेक महत्वपूर्ण कहानी कार उभर के आये। यह ऐसा समय था जब कई पीड़ियाँ एक साथ साहित्य रचना में जुटी थीं, जिनके शिल्प और कथानक से लेकर शब्द भण्डार तक अलग अलग थे। हर पीड़ी में कितने सारे लेखक और हर लेखक की अपनी विचार धारा। मोटे तोर पर इन लेखकों के वर्ग पर विचार किया जाये तो कुछ वर्ग उभर के आते हैं। एक वर्ग ऐसा था जो कि सीधा फार्मूला कहानी लिख रहा था यानि कि क्रांति की विचारधारा से जुड़ा हुआ