अनमोल रिश्ते (Part-1)

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सुनसान् रास्ते के पास एक आदमी गाडी ले के खडा था।चेहेरा उदास था। आखों में आशुं नहीं था, पर दील में चोट था। मुहँ लटका के खडा था सायद कुछ सोच रहा हो। तभी उसी रास्ते पर उसका दोस्त निकला। दोस्त का नजर उस पर पडा। गाडी रोक के पास आया। पुछा आरे तु तो आज जल्द घर जानेबाला था ना फिर यहां कैसे ? उसने कुछ जवाब नहीं दिआ। दोस्त को झट से गले लगा लिया और रोने लगा। दोस्त:- भाई क्या हुआ है ? तु रो क्यु रहा है ? कोइ problem है तो बता। आदमी:- क्या बताऊँ तुझे ?