इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा दिवंगत अम्मां-पिता बिमला और प्रेमचंद चतुर्वेदी की स्मृति को समर्पित अपनी बात ....उबरना स्वयं से.... मैं यह तो नहीं कहूंगी कि मैं उपन्यास लिखने के लिये तड़प रही थी या मन में कसक उठ रही थी, या न लिख पाने से डिप्रेशन में जा रही थी। हां, मन में यह बात अवश्य थी कि मुंबई के जरिये अपनी बात कहूं। दूसरे शहर से उजड़ कर आये एक परिवार के फिर से उठ खड़े होने की कहानी कहने का मन था जो इन पन्नों में आपको नज़र आयेगी। यहां बसने की नीयत से आये किसी