पग घुँघरू बाँध नथनियाने हाय राम बड़ा दुख दीन्हा दूर से आती हुई ठुमरी की आवाज, ढ़ोलक की थाप और घुँघरूओं की आवाज अम्मा को सोने न हीं दे रही थी। दो बार तो थूककर आ गयीं। इन रांड- रडँकुलियों ने यहाँ ड़ेरा बसा रखा है। क्या सोचकर अनिरूद्ध ने यहाँ घर लिया होगा। क्या उसे पता नहीं था कि घर से थोड़ी ही दूर चकलाघर चलता है। ‘मुझे तो भाई गाँव छोड़ आ, मुझ से सहन नहीं होते ये रोजरोज के ठुमरीठप्पे ‘ ‘अम्मा तुम इतना कान लगाकर सुनती ही क्यों हो? हमें तो कुछ सुनायी नहीं देता’ ‘फिर