राम रचि राखा तूफान (6) सुबह किसी में उठने की हिम्मत नहीं थी। बच्चे कुनमुनाकर उठे और भूख से थोड़ी देर रोए। लेकिन जल्दी ही अशक्त होकर शांत हो गए। आधे से अधिक लोग मरणासन्न हो चुके थे। साँसें चल रही थीं, किंतु वे शक्तिहीन थे। शरीर का पानी निचुड़ चुका था। कई लोग सारी आशा छोड़कर अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगे। सूरज ऊपर आसमान पर चढ़ता जा रहा था। सप्तमी और अंश को अपनी बाहों में लेकर सौरभ लेटा हुआ था। अंश को बुखार आ गया था। उसका शरीर तप रहा था। सप्तमी अपने पर्स में सदैव दवा रखती