*बरसात की लास्ट लोकल*हल्की हल्की बूँदें जब मिट्टी पर पड़ती हैं तो सौंधी खुशबु से मन महक उठता है| पर जब मेघ फटने को तैयार खड़े हों और अंग्रेजों के ज़माने का तैयार शहर हो तो दिक्कत आती ही है। अब मुंबई है तो बारिश से उम्मीद रोमांस की नहीं बल्कि डूबने की लगाई जाती रही है। उस दिन सुबह से ऐसी ही बारिश हो रही थी और महानगरपालिका ने पहले ही एलान कर दिया था कि घरों में रहे, सुरक्षित रहे। पर मुंबई में कौन रुकता है घरों में? शायद इसलिए बड़े बड़े घरों की जरूरत नहीं पड़ी, जितना