पराये स्पर्श का एहसास(भाग 1)

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सब सहकर्मियों के जाने के बाद सुमित्रा ने राहत की सांस ली थी।वह अभी भी अपने को यहाँ के वातावरण के अनुसार नही ढाल पायी थी।सब लोगो की उपस्थिति में उसे आफिस का माहौल बोझिल सा लगता था।मर्दों के बीच उसे परायेपन का एहसास होता।ऐसा महसूस करती मानो अनजान,अजनबी लोगो के बीच आ फसी हो।मर्दो के सामने स्वंय को उपेक्षित सा महसूस करती।इसलिए ऑफिस खाली हो जाने के बाद वह सकून सा महसूस कर रही थी। ऑफिस के लोगों ने नियम बना रखा था।10 बजे के बाद आना और 5 बजे से पहले चले जाना।और लोग चाहे जब आये,