"अरे! नाश्ता तो कर लेती..." सास की बात अनसुनी करते हुए सीमा बाहर निकल गई। "आज फिर लेट हो गई।" बुदबुदाते हुए बाएं कंधे से सरकते बैग को संभालती और दाईं कलाई पर बंधी छोटे से डायल की घड़ी को बार-बार देखते हुए, बड़े-बड़े कदमों से टैक्सी स्टैंड की तरफ बढ़ती जा रही थी।"आराम से बिटिया.." पीछे से किसी ने आवाज दी।"अंकल जी आप..."रुककर पीछे देखते ही सीमा ने कहा।"चलो मैं छोड़ दूँ।" सुनकर सीमा बिन कुछ कहे या सोचे उनके साथ बैठ गई या ये कहो उसके पास कुछ भी सोचने का समय ही नही था।"लो बिटिया! आ गया तुम्हारा स्टॉप।" "थैंक्यू