चिट्ठी आई है !

  • 14.2k
  • 2
  • 2.1k

भले ही चिट्ठियों का आना-जाना अब बीते वक़्त की बात लगती हो, लेकिन इसे चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं | अब भी हमारे मन के किसी कोने-अँतरे में यह चाह रहती है कि काश, मेरे नाम भी कोई चिट्ठी आती !पिछले साल बच्चों को “चिट्ठियों की अनूठी दुनिया” पाठ पढ़ाते हुए मैंने एक प्रयोग किया | सभी बच्चों से उनके रिश्तेदारों और दूसरे शहरों/गाँवों में बसे दोस्तों क नाम चिट्ठी लिखने के लिए कहा | पहले तो कई बच्चे आना-कानी किये, लेकिन धीरे-धीरे करके सप्ताह भर के भीतर लगभग सभी ने चिट्ठियाँ लिख लीं | उनमें से काफी