यारबाज़ विक्रम सिंह (4) श्याम बोलते जा रहा था, चाचा सब सोचते हैं। पापा ने जो जमीन खरीदी है उन सब में उनका भी हिस्सा बनता है, क्योंकि उन सब ने इतने दिन जमीन की देखभाल की है मगर वह यह नहीं सोचते हैं कि उल्टा उन लोगों को पापा का एहसान मानना चाहिए जो अपने खेत में खेती करने दिया और उसके बदले कभी कुछ नहीं मांगा। बात इतनी आगे बढ़ गई कि पापा ने एक अलग घर बना लिया। उसमें भी प्लास्टर का काम बाकी है। देख रहे हो। वैसे तो गांव में दादाजी के घर पर पापा का