केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 21 केसरिया भात की खुशबू आज बाली घर आने वाला है। सिर्फ अपनी देह के साथ। ऐसी चेतनाविहीन देह जो देह होने का अर्थ भी नहीं जानती। ऐसी देह जहाँ न मन है, न दिमाग। न विचार हैं, न भावना। और ये सब जब न हों तो क्या हम उसे पागल कह दें? वह और कुछ न हो, पर इंसान तो है। उसी इंसान के आगमन के लिये घर तैयार हो रहा है। आर्या फिर से बाली को “पापा” कहने लगी थी। ममा की स्फूर्ति देखने लायक थी। उनमें गजब की ऊर्जा आ गयी थी।