एक बूँद इश्क - 24 - अंतिम भाग

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एक बूँद इश्क (24) एक दिन पूर्णमासी की रात थी चाँद पूरा चमक रहा था...चार दिन से चन्दा नदी पर नही आई थी वह बुखार में तप रही थी...दूसरे उसके घर से निकलने पर भी पाबंदी लगी थी......पटवारी उगाही के लिये दूसरे गाँव गया था.....चन्दा बैजू से मिलने को रोई चिल्लाई तो माँ ने तरस खाकर उसे घर से जाने दिया इस शर्त पर कि दो घण्टें में वापस लौट आयेगी। चन्दा नदी किनारें पहुँची तो बैजू पहले से बैठा उसका इन्तजार कर रहा था...उस समय नदी का किनारा इतना सुनसान नही था....अक्सर लोग वहाँ आते थे कुछ घूमने..कुछ भेड़ें