पूर्णता की चाहत रही अधूरी - 19

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पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग उन्नीसवाँ अध्याय तीन दिन हो गये थे कैप्टन प्रीतम सिंह को शिमला आये हुए। पहले दिन तो शिमला पहुँचने के बाद होटल-रूम लिया। कमरे में ही खाना मँगवा लिया और फिर रज़ाई में घुसते ही नींद ने ऐसा घेरा कि उसे पता ही नहीं चला कि कब चार घंटे बीत गये। दूसरे दिन नाश्ता करके जाखू मन्दिर देखने निकल गया था। तीसरे दिन सुबह से ही वह मॉल रोड पर टहलने के लिये निकल आया था। मार्च का दूसरा पखवाड़ा आरम्भ होने पर भी अच्छी-खासी ठंड थी। इक्का-दुक्का पर्यटक ही घूमते नज़र