नैना अश्क ना हो.…...…........नैनों में समन्दर आंसू काहृदय में हाहाकार हैक्या कोई समझेगा मेरी पीड़ा कोउनके लिए तो व्यापार हैंसर्वस्व न्यौछावर किया देश पेइसका मुझको अभिमान हैकरके दफन अपनी जख्मों कोपूरे अपने फर्ज करूकष्ट ऊठाऊं चाहे जितनाहर जनम तुम्हरा वरण करूंहर जनम तुम्हरा वरण करू। ये कहते हुए नव्या की आंखें से आंसुओं का वेग रोके नहीं रुक रहा था । जब ये शब्द नव्या ने वीरता पुरस्कार ले कर सभी के कुछ कहने के अनुरोध पर ये लाइनें कहीं। वहां कोई ऐसा नहीं बचा था जिसकी आंखों में आंसू ना हो। शब्दों में अपने मैं