कहानी - बिल्कुल सही वसीयत ¨ जीवन के अंतिम पड़ाव में आ कर इतना कष्ट भोगना होगा , ऐसा कभी सोचा भी न था मैंने . ¨ शांति देवी बहुत मुश्किल से छड़ी के सहारे चल कर बाथ रूम जाती हुई बोली थीं शंकर बाबू ने कहा ¨ तुम घबराओ नहीं , मैं जल्द ही तुम्हें किसी बड़े अस्पताल में ले चलूँगा . ¨ शंकर बाबू ने पत्नी को तसल्ली देने के लिए बोल तो दिया पर उनके दिमाग में बेटों की बेरुखी स्थायी घर बना चुकी थी . खुद तो झारखण्ड के छोटे से