बारिश, धुआं और दोस्त

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बारिश, धुआं और दोस्त प्रियदर्शन वह कांप रही है। बारिश की बूंदें उसके छोटे से ललाट पर चमक रही हैं। ‍`सोचा नहीं था कि बारिश इतनी तेज होगी और हवाएं इतनी ठंडी।‍` उसकी आवाज़ में बारिश का गीलापन और हवाओं की सिहरन दोनों बोल रहे हैं। मैं ख़ामोश उसे देख रहा हूं। वह अपनी कांपती उंगलियां जींस की जेब में डाल रही है। उसने टटोलकर सिगरेट की एक मुड़ी सी पैकेट निकाली है। सिगरेट भी उसकी उंगलियों में कुछ गीली सिहरती लग रही है। उसके पतले होंठों के बीच फंसी सिगरेट कसमसाती, इसके पहले लाइटर जल उठा। फिर धुआं है जो