राम रचि राखा तूफान (२) सुन्दर वन की यात्रा कैनिंग घाट से आरम्भ होने वाली थी। जो कि सियालदाह स्टेशन से लगभग पैंतालीस किलोमीटर दूर था। सौरभ के पास कैनिंग तक जाने के दो विकल्प थे। एक टैक्सी और दूसरा लोकल ट्रेन। उसने ट्रेन चुना। सौरभ सदैव ट्रेन की यात्रा को वरीयता देता है। यहाँ तो एक बड़ा कारण यह भी था कि स्थानीय लोगों के साथ यात्रा करने को मिलेगा। यहाँ की संस्कृति और संस्कारों से साक्षात्कार हो सकेगा। ट्रेन में भिन्न-भिन्न तरह के लोग मिलते हैं। तरह-तरह की चीजें बिकती हैं। फेरीवालों के विलक्षण तरीके और आवाज बहुत मनोरंजक होते हैं। ट्रेन के भीतर