एक बूँद इश्क (22) ये संयोग ही है कि डा. कुशाग्र का एक ही घंटी पर फोन उठ गया। कुशाग्र से लंबी बातचीत के दौरान यही निष्कर्ष निकला कि ऐसी स्थिति से घबराना नहीं है कि ऐसी स्तिथी अक्सर आएगी और यह इलाज का एक हिस्सा है जिसके लिए उसको पहले से माइंड मेकअप करना होगा स्थिति इतनी खतरनाक भी नहीं है जितनी की इलाज ना करने की दशा में होगी अच्छा यही होगा धैर्य से काम ले और घबराहट को हिम्मत में बदलें,,,,और फिर, रीमा को अकेले निकलने की जरूरत ही क्यों पड़ी? क्यों नहीं पहले ही उसको स्वेच्छा