गुरप्रीत ,मां की बातों को अनसुना करके अपनी ही दुनिया मे मगन रहतीं, सहेलियों के साथ खेंतों में दिनभर घूमती तो कभी बकरियों के झुंड के साथ,कभी कभी सैर करने नहर के किनारे टहलने चली जाती लेकिन उसे पानी से बहुत डर लगता था,इसलिए पानी से हमेशा दूरी बनाकर रहती,सहेलियां नहर में नहातीं और वो दूर से ही उन्हें देखती,घर गृहस्थी के किसी काम को हाथ नहीं लगाती,मां कहते कहते थक जाती लेकिन वो तो एकदम चिकना घड़ा हो गई थी,मां की बातों का उस पर कोई भी असर ना पड़ता लेकिन सहेलियों के साथ कभी कभार कुएँ पर पानी