( चौदह )अचानक दिल का दौरा पड़ने से मेरी पत्नी की मृत्यु विश्वविद्यालय के जिस सभागार में हुई थी उसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हीं को, अर्थात अपनी पहली वाइस चांसलर को समर्पित कर दिया और उसका नाम भी उनके नाम पर ही रख दिया गया। इसके बाद कई वर्ष तक उनकी स्मृति में हर साल एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाने लगा जिसमें देश भर से किसी भी एक विशिष्ट व्यक्ति को आमंत्रित करके उनका विशेष व्याख्यान विद्यार्थियों के बीच आयोजित किया जाता। क्योंकि ये "मेमोरियल लेक्चर" होता था अतः ये प्रयास किया जाता कि इस व्याख्यान के लिए उनके