'भक्ति और प्रेम'बहुत पहले की बात है। एक बार दो अलग-अलग व्यक्तियों के मन में आया कि चलो घर का त्याग करते हैं। संसार बहुत बड़ा है जैसा खाने को मिलेगा खा लेंगे, जहाँ रहने को मिलेगा रह लेंगे...। एक का नाम था रामानन्द और दूसरे का नाम था कृष्णानन्द..।दोनों ने बिना किसी को कुछ बताए गृह त्याग कर दिया... करीब 8-10 दिन बाद दोनों किसी स्थान पर मिले... जब आपस में बातचीत हुई और दोनों ने अपना-अपना परिचय भी एक-दूसरे से करवाया... दोनों के विचार एक दूसरे के विचारों से मेल खाते थे, इस कारण से दोनों ने निर्णय लिया