घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम (भाग-1)“चलो कपड़े पहनते हैं अब इश्क़ पूरा हुआ–––छी...!! बस यही रह गया है प्यार–मुहब्बत का पर्याय!” पास पड़ी मेज पर किताबें पटकते हुए निशा ने कहा । मैंने पीछे पलटकर देखा तो यूँ लगा मानो सुपरफास्ट ट्रेन का बेकाबू इंजन मेरी ओर दौड़ा चला आ रहा है जिसे मैं असहाय खड़ा देखने के सिवा कुछ और नहीं कर सकता था ।“बस लड़कों को लड़कियों से मात्र एक चीज की ही दरकार होती है उसे लिया फिर निकल पड़े अगले शिकार पर । खून खौलता है मेरा, ऑल मैन्स आर डॉग!” ऐसा कहकर निशा ने मेरी तरफ घूरकर