वो बारह घण्टे का पसीना

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जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार भी समय पर किसी का मकान गिरवी तो किसी की लगन फीकी है, टपकते है छत उसके कच्चे इमारतों के फिर भी वो करता है दुआ बारिशो के आ जाने की। कृषि प्रधान देश में आज आधी से भी कम आधी आबादी किसानी कर रहे है। आधुनिकता और भौतिकवाद ने आज हमें अपने शिकंजों में कस लिया है। आधी आबादी गाँव खेती से दूर शहरों के उन ऊँची इमारतों में बस रहे। दिन रात चकाचौंध में खट रहे। अठारह अठारह घण्टे