केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 18 केसरिया से केस कानून का खेल शुरू हो गया था। जब कानून बोलता है तो सब बोलते हैं, अदालत में वकील बोलते हैं, जज बोलते हैं और फैसले बोलते हैं। घर की बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी। कोई नहीं जानता था कि पीड़ित को इससे और अधिक पीड़ा मिल रही थी। न चाहते हुए भी वह सब करना पड़ रहा था जो उसने कभी नहीं चाहा था। बिटिया का क्रोध भी जायज़ था। घरेलू हिंसा से जुड़े कोर्ट में कार्यवाही शुरू हो गयी। बाली को ढूँढ लिया गया था और केस चलने तक