एक अप्रेषित-पत्र महेन्द्र भीष्म एक अप्रेषित पत्र दीदी का पत्र आशा के विपरीत आया था। पत्र बहुत संक्षेप में था, उनकी आदत के बिल्कुल उलटे। पत्र में लिखीं चार पंक्तियों ने पत्नी रजनी और बेटी सुमेधा को तो परेशान कर ही दिया था, मैं भी कम परेशानी में नहीं हूँ। आखिर दीदी ने ऐसा क्यों लिखा? एकदम दो टूक जवाब, जिसकी वे आदी नहीं हैं; फिर ऐसा क्यों किया उन्होंने प्रश्न, उत्तर का समाधान न पा और उलझता जा रहा था। वह सुमेधा को अपने पास रख कर क्यों नहीं पढ़ा सकतीं थीं? क्या असुविधा होती उन्हें? पति—पत्नी और दो