( बारह )मेरा जीवन बदल गया था।मैं अकेलेपन की भंवर में फंस कर कई सालों तक शहर दर शहर घूमता रहा था किन्तु अब परिवार के साथ आ जाने के बाद मैं फ़िर से अकेला हो गया था।मेरे छोटे से परिवार के चार सदस्यों में अब कोई शहर से दूर, कोई देश से दूर, कोई दुनिया से दूर!अब तक मेरे ही परिवार के साथ रहती मेरी मां भी अब मेरे बड़े भाई के घर रहने के लिए चली गई थीं।लेकिन आपको सच बताऊं, अपने अकेलेपन का कई उन बड़े- बूढ़ों की तरह रोना- झींकना मुझे ज़रा भी नहीं सुहाता था