उठते क्यों नहीं कासिम भाई? प्रियदर्शन मुर्गे की तेज़ बांग से अकचका कर उठे कासिम भाई। कमबख़्त इस महानगर में कब से बोलने लगा मुर्गा। आदतन घड़ी पर नज़र पड़ी- अरे, वह भी सुबह के साढ़े आठ बजे? फौरन माज़रा समझ में आ गया। मुर्गा नहीं, उनका मोबाइल बोला था। कमबख़्त उनके छोटे बेटे ने चुपके से उनके मोबाइल पर अपनी पसंदीदा रिंग टोन लगा दी थी। सातवीं में पढ़ता है और मोबाइल कंप्यूटर के कल-पुर्जे से लेकर प्रोग्राम तक ऐसे जोड़ता बदलता है जैसे अम्मी की कोख से सीख कर निकला हो। मुर्गा अब भी बोल रहा था। कासिम