राम रचि राखा अपराजिता (11) समय तो अपनी गति से चलता रहता है। अनुराग के गये हुये तीन साल बीत गये। अब ध्रुव लगभग ढ़ाई साल का हो गया है। एलबम में अनुराग की फोटो देखकर उसे पहचानने लगा है। वैसे तो तीन साल बहुत लम्बा समय नहीं होता है, किन्तु मेरे लिये पिछले तीन साल तीन युग के बराबर थे। अनुराग के प्रति मन मे क्रोध तो था। लेकिन शायद मेरा प्रेम इतना सबल था कि इतने कष्टों के बाद भी मैं कभीं उससे घृणा नहीं कर पाई। अचेतन मन में एक प्रतीक्षा सी बनी रहती थी। लगता था कि