मुक्तिबोध और उनकी साहित्यिक सैद्धान्तिकी ‘साहित्यिक की डायरी’ मुक्तिबोध मुक्तिबोध का रचना-व्यक्तित्त्व उनके जीवन की ही तरह विरल विशिष्टताओं से निर्मित है। मुक्तिबोध एक व्यक्ति नहीं, अपने समय की एक परिघटना हैं जिसमें अनेक विमर्श और उद्भव निहित हैं। अनुभवों का इतना विस्तृत लोकायतन, वैचारिकता के इतने बड़े प्रमेय, संवेदना की इतनी आत्मीय वैश्विकता और अनेक रूपों और विधाओं में भी न समाती, छटपटाती ऐसी अधीर अभिव्यक्ति के दूसरे उदाहरण ढूँढ़ पाना आसान नहीं है। अपने रचनात्मक साहित्य के अन्तर्गत कविता और गद्य में जितने उद्धरणीय मुक्तिबोध बन गये हैं संभवतः कोई दूसरा समकालीन