इधर गांव में कांता और रामू किसी तरह अपनी गृहस्थी चला रहे थे। केशव पढ़ने में बहुत अच्छा तो नही था पर ठीक ठाक जरूर था। अपनी हर कक्षा में पास जरूर हो जाता था। धीरे धीरे कर के वो दसवी के बाद बारहवीं में पहुंच गया। परीक्षा हो गई थी। अब बस परिणाम का इंतजार था। आज केशव का बारहवीं का रिजल्ट घोषित हुआ था और वो पास हो गया था। कान्ता बेहद खुश थी। माधव घर की जिम्मेदारियों को निभाने में पढ़ ना सका था। राघव का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। पूरे घर की आशा अब बस केशव पर ही टिकी थी। खुद रामू बस पांचवी पास थे। आज जब बेटा बारहवीं पास कर गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। रामदेव का सीना आज गर्व से चौड़ा हो गया था। वो केशव का गुड़ से मुह मिठा कराते हुए बोले,