गवाक्ष 11=== पॉंच-पॉंच वर्ष के अंतर में सत्यव्रत व स्वाति की फुलवारी में क्रमश: तीन पुष्प खिले। दो बड़े बेटे व अंत की एक बिटिया। बस--- यहीं फिर से सत्यव्रत के जीवन में अन्धकार छाने लगा। सत्यव्रत व स्वाति दोनों एक बिटिया की ललक से जुड़े थे । इस दुनिया से विदा लेते समय स्वाति व सत्यव्रत में कुछ पलों का वार्तालाप हुआ था । स्वाति समझ रही थी कि वह जा रही है। नन्ही सी बिटिया के गाल पर ममता का चुंबन लेकर स्वाति ने उसे सत्यव्रत की गोदी में दे दिया। सत्यव्रत ने बिटिया के माथे को स्नेह से चूम लिया और उसे पालने