केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 14 अहं से आह तक धीर-धीरे काम कम होता गया, पैसे भी खत्म होते गए। किसी ने सूचित किया कि बाली के पीछे कुछ लोग पड़े हैं जो अपना पैसा वापस चाहते हैं। जिसके तनाव में वह ऐसे काम करने लगा जो उसे नहीं करना चाहिए। पीता तो पहले भी था पर सिर्फ खुशी में। अब जब पीता था तो कमजोरियों को छुपाने के लिये जो पीने के बाद और अधिक सामने आ जाती थीं। पीने के बाद भी जीवन की मजबूरियाँ कहाँ पीछा छोड़ती हैं। वे और अधिक उकसाती हैं। इंसान को लगता है