दो बाल्टी पानी - 23

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गुप्ता जी ने पिंकी की ओर घूरकर देखा और बोले “ अरे पिंकिया का जरूरत थी ऐसी आंधी पानी में पानी भरने की वह भी अंधेरे में, अरे हमें तो लगता है तूने जान बूझकर छोटी कटवाई, और तो और तू चोटी कटवाने ही बहाना बना कर गई होगी” | गुप्ता जी की बेतुकी बातों का लावा फूट फूटकर बाहर आ रहा था, जिसे सुनकर गुप्ताइन के अंदर का ज्वालामुखी फटा पढ़ रहा था | गुप्ताइन कुछ कहने को हुंई तो गुप्ता जी फिर फूट पड़े “ अरे कुछ मत बोलो... हम कहते हैं कुछ मत बोलो, बहुत सुन लिये