केसरिया बालम - 13

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केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 13 अमावसी अंधेरों में अब कई बार वह देर रात तक घर नहीं आता। धानी उसकी राह तकती सो जाती। घर आता भी तो कभी बाहर सोफे पर ही सो जाता तो कभी अपनी हवस मिटा कर झट सो जाता। आर्या से सुबह खेलकर जाता तो फिर दूसरे दिन सुबह मिलता। कई बार आधी रात में धानी का हाथ पास के खाली तकिए पर जाता तो अचकचा कर उठ जाती कि – “बाली अभी तक नहीं आया।” बाहर जाकर उसे सोफे पर सोया हुआ देखती तो चैन मिलता। उसे ठीक से ओढ़ा कर, प्यार से