इस शहर में मनोहर

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इस शहर में मनोहर प्रियदर्शन फणीश्वरनाथ रेणु का हीरामन अब गांव में नहीं रहता, शहर चला आया है। बैलगाड़ी नहीं चलाता, कई दूसरे छोटे-छोटे काम करता है। उसका नाम इस कहानी में मनोहर है। एक ही जगह 5 घंटे तक खड़े रहने के बाद थक गया मनोहर। पहले तो यही सबसे आसान काम लग रहा था। जब सुना कि बस गेट पर खड़े रहकर आने-जाने वालों के कार्ड चेक करना है तो बांछें खिल गईं। इतने भर काम के लिए 4000 रुपये मिलेंगे। ड्यूटी भी बस 10 घंटे। लेकिन आधे दिन में समझ में आ गया कि मेहनत करना आसान