पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग बारहवाँ अध्याय नवम्बर के अन्तिम सप्ताह का शुक्रवार। हरीश जब शाम को घर पहुँचा तो सुरभि ने चाय तैयार कर रखी थी, क्योंकि हरीश ने उसे ऑफिस से फ़ोन करके कह दिया था कि आज फ़िल्म देखने चलेंगे। चाय पीते हुए सुरभि ने पूछा - ‘कौन-सी फ़िल्म दिखा रहे हो?’ ‘आज ‘फूल और काँटे’ रिलीज़ हुई है। ‘डिम्पल थियेटर’ के मालिक का फ़ोन आया था। कह रहा था, सर, बहुत अच्छी मूवी है। शाम वाले शो में आ जाओ। मैंने मना करना उचित नहीं समझा और तुम्हें फ़ोन कर दिया।’ ‘कौन-कौन हैं