राम रचि राखा अपराजिता (9) उस दिन मेरा जन्मदिन था। अनुराग ऑफिस के काम से कहीं बाहर गया था। जन्मदिन की बधाई देने के लिए सुबह से मेरे मित्रों के फोन आने लगे थे। हर बार जब फोन की घंटी बजती तो मैं सोचती कि अनुराग का फोन होगा। लेकिन दोपहर तक उसका फोन नहीं आया। मैं जानती थी कि वह जब बाहर जाता था तो बहुत व्यस्त होता था। दोपहर के बाद उसका फोन आया। मैं सोच रही थी कि व्ह मुझे जन्मदिन की बधाई देंगा, लेकिन दस मिनट तक बात करने के बाद उन्होंने फोन रख दिया। जन्मदिन के