इंद्रधनुषी नावें “ज्योंहि आसमान में बादल छाए, पवन भी आह्लादित हो गई| उसने शीतलता की चादर ओढ़ ली और मंद मंद बहकर प्रकृति के साथ कदमताल मिलाकर थिरकने लगी| उसे मालूम है कि अब सभी बच्चे, युवा और वृद्ध निकलकर बाहर आएँगे और उनके कदम भी थिरकने लगेंगे| मयूरों को भी ईश्वर ने इस सुहाने मौसम का स्वागत करने के लिए बहुरंगी पँख दिये हैं | उन पंखों को फैलाकर वह स्वयं नाचता है और देखने वालों के मन में भी थिरकन भर देता है| आखिर ऐसा क्या है इस मौसम में कि मन इंद्रधनुष छूने को बेताब हो जाता