जय श्रीकृष्ण बंधुवर!भगवान श्री कृष्ण और श्रीगीताजी के अशीम अनुकम्पा से आज श्री गीताजी के १६वें अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ। आप सभी प्रियजन श्रीगीताजी के अमृतमय शब्दो को पढ़कर, सुनकर तथा सुनाकर अपने आप को तथा सभी सुनने वाले बंधुओ के जीवन को कृतार्थ करे। श्री गीताजी की अशीम अनुकम्पा जैसे मुझपर बानी है वैसे ही आप सब पर भी बनी रहे।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१६?श्री कृष्ण जी बोले- हे भारत! अभय, शुद्ध, सतोगुणी होना, ज्ञान-योग निष्ठा, दान, इन्द्रिय-दमन, यज्ञ करना, तप सरलता, अहिंसा, सत्य, क्रोध, त्याग, शांति, चुगली न करना, सब प्राणियों पर