तेरे मेरे सपने अब एक रंग

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"मान जाओ ज़रा रुक भी जाओ!" अर्जुन ने हिम्मत जुटा कर अंजना को आवाज़ दी।कैफे में टेबल से अपना बैग उठा कर अंजना गेट खोल कर निकल ही रही थी कि अर्जुन की तेज आवाज से ठिठक गई। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो अर्जुन के तेज आवाज़ से सारा कैफे अंजना की ओर ही देख रहा है पर सकपकाने के बजाय अंजना के आँखों से आंसू निकल आए। काश तुम उस दिन रोक लेते। अंजना के आँखों में सब कुछ तैर गया , पांच साल ही तो हुए और ऐसा लगता है बरसों बीत गए.. हाँ अर्जुन के बिना