जननम - 10

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जननम अध्याय 10 आनंद ने कुछ सोचते हुए पत्र को बंद किया। इस पत्र ने जो सदमा दिया है उससे बाहर निकलना नहीं हो सकता उसे लगा। ऐसा एक सदमा ! अचानक ऊपर से एक नक्षत्र सिर के ऊपर गिरा जैसे ! अभी तक मैं थोड़ा पागलपन में भटक गया उसके समझ में आया। उसकी शादी हो गई हो सकता है मुझे यह बात क्यों नहीं समझ में आई ? शादी होने के कोई भी तो पारंपरिक चिन्ह उसके ना होने के कारण एक अज्ञानता में रह गया ? नदी के बाढ़ में उसका मंगलसूत्र गिर गया होगा। शायद किसी ने