मृगतृष्णा--भाग(४)

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तभी राजलक्ष्मी को पता चला कि शाकंभरी इसी राज्य की राजकुमारी है,तब राजलक्ष्मी ने अपार शक्ति से निवेदन किया की कि वे उन्हें शाकंभरी से भेंट करने की अनुमति दे।। अपारशक्ति बोले,हां! क्यो नही,वे आपकी सखी है,आपको उनसे मिलने के लिए मेरी अनुमति की आवश्यकता नहीं।। राजा अमर्त्य सेन और राजलक्ष्मी, शाकंभरी से उसके कक्ष भेंट करने पहुंचे, एकाएक राजलक्ष्मी को अपने महल में देखकर शाकंभरी को अत्यधिक प्रसन्नता हुई,वो फूली ना समाई और राजलक्ष्मी को शीघ्रता से अपने बांहपाश में ले लिया।। अमर्त्य सेन ने शाकंभरी से कहा__ पुत्री शाकंभरी, जिस प्रकार राजलक्ष्मी मेरी पुत्री है