पूर्णता की चाहत रही अधूरी - 9

  • 4.9k
  • 1.9k

पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग नौवाँ अध्याय दस-ग्यारह दिन हो गये थे प्रमोशन हुए, लेकिन यमुनानगर में हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए थे। आन्दोलन की आड़ में होने वाली हिंसक तथा आगज़नी की घटनाओं के चलते कर्फ़्यू अभी जारी था। दैनंदिन की आवश्यकताओं की आपूर्ति हेतु प्रतिदिन कर्फ़्यू में दो घंटे की ढील दी जाती थी। अब हरीश के पास ज्वाइन करने के सिवा कोई विकल्प नहीं था। अतः उसने मीनाक्षी से फ़ोन पर बात की और सोमवार को ज्वाइन करने का मन बना लिया। स्वयं की कार न ले जाकर सरकारी वाहन से जाना उचित