सिर्फ तुम.. - 3

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सिर्फ तुम-3दर्द जब हद से बढ़ जाता है,चीखना चाहते है..चिल्लाना चाहते है. मन में जमी धूल एक पल में निकालना चाहते है...चाहते हैं कह दें सब हाल-ए-दिल,पर कुछ कह नहीं पाते..होंठ काँप उठते हैं कुछ कहने से पहले..आंखे छलछला जाती हैं कुछ कहने से पहले..और बहा देती हैं आसुंओ में सब,वो दर्द जो दिल सह नहीं पता..जो जुबां कभी कह नहीं पाती..पर बात तो ये भी है कीइन आसुंओ की कीमत कहां जानते हैंदर्द देने वाले..जुबां के फ़रेब सुनने का शौक रखते है सब..यहां कौन निग़ाहों की ख़ामोशी जानना चाहता है..हाथ में मरहम लेकर फ़िरते तो है यहां सब,यहां कौन दिलों