पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग आठवाँ अध्याय मीनाक्षी को विश्रामगृह छोड़कर आने के बाद कैप्टन ने बहादुर को गेट, दरवाज़े बन्द करने के लिये कहकर बेडरूम की ओर रुख़ किया। आज वह बहुत खुश था। उसे लगा जैसे अन्त:करण में ख़ुशियों के फ़व्वारे छूट रहे हों! ल