एक अप्रेषित-पत्र महेन्द्र भीष्म मसीहा चाय का घूँट भरते हुए असगर ने विक्रम में चढ़ रही सवारियों की ओर ताका, फिर दूसरा घूँट भरने से पहले उसने टैम्पो ड्राइवर की ओर देखा। माथे पर सिंदूरी टीका लगाये वह राधेश्याम ही था, जो चेहरे पर संतोष के भाव लिए बीड़ी फूँक रहा